HBTU Kanpur के 102 साल : हरकोर्ट बटलर की पहल पर कानपुर में बना एचबीटीयू विश्वविद्यालय कानपुर में ,बात है अंग्रेजी हुकूमत समय की लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉन हेवेट ने इंडस्ट्रियल विकास के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी में एजुकेशन मेंबर रहे स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने कानपुर के लोगों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए 1908 में यहां संस्थान खोलने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि बटलर का पद चले जाने की वजह से संस्थान नहीं खुल सका मामला दबा दिया गया।
1920 में फिर से संस्थान खोलने की बात चली। इस बार कानपुर के बजाय लखनऊ टेक्निकल स्कूल को गवर्नमेंट टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट बनाने की कवायत होने लगी। तो हरकोर्ट बटलर कानपुर में ही संस्थान बनाने पर अड़ गए इस पर कमेटी को कानपुर में ही गवर्नमेंट टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट खोलना पड़ा। जो अब एचबीटीयू के नाम से जाना जाता है।
यह जानकारी संस्थान के 1980 बैच के छात्र विश्वनाथ चट्टोपाध्याय की किताब से मिली है ,25 नवंबर 1921 संस्थान की इमारत की नई ब्रिटिश इंडिया के संयुक्त प्रांत के गवर्नर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले देश का पहला संस्थान था। वर्ष 1926 में जब प्रधानाचार्य ईआर वाटसन रिटायर हो रहे थे। और नए प्रधानाचार्य डॉ. गिल्बर्ट जी फोलर ने कार्यभार ग्रहण किया। तो संस्थान का नाम बदलकर गवर्नर के नाम पर हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट रखा गया था।
1932 से 1964 के बीच शुरू हुए कई टेक्नोलॉजी कोर्स:
1932 से 1964 के बीच यहां शोध कोर्सों के साथ ग्लास टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक में कोर्स शुरू हुए।
1961 में गणित विभाग, 1964 में प्लास्टिक टेक्नोलॉजी बायोकेमिकल इंजीनियरिंग व फूड टेक्नोलॉजी मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स शुरू हुए। पीएचडी भी शुरू हुई।
HBTU kanpur ने देश को दिया ऑयल टेक्नोलॉजी का उपहार
एचबीटीयू ने देश को ऑयल टेक्नोलॉजी कोर्स को उपहार दिया था खाने से लेकर साबुन बनाने तक में इस्तेमाल होने वाले ऑयल टेक्नोलॉजी की पढ़ाई एचवीटीयू में ही शुरू हुई थी। यहां से निकले छात्रों ने देश भर में पहचान बनाई 1930 बैच के केडी मालवी को फादर आफ पैट्रोलियम इंडस्ट्री भी कहा जाता है।
HBTU कानपुर लेदर और शुगर टेक्नोलॉजी का जन्मदाता बना।
1928 मैं इसी संस्थान में शुगर टेक्नोलॉजी कोर्स शुरू किया गया था। जिसे 1936 में अलग से शर्करा संस्थान बनाने के कारण बंद कर दिया गया। यही संस्थान अब कल्याणपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के रूप से जाना जाता है। इसी तरह वर्ष 1922 में संस्थान में लेदर टेक्नोलॉजी कोर्स शुरू हुआ था बाद में लेदर टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट का भी अलग से निर्माण हुआ
एचबीटीयू के पूर्व छात्रों ने देश विदेश में नाम रोशन किया
1930 बैच के केडी मालवीय को फादर ऑफ इंडियन पैट्रोलियम इंडस्ट्री कहा जाता है तेल टेक्नोलॉजी से पढ़ाई करने वाले मालवीय 1970 में पेट्रोलियम मंत्री भी रह चुके हैं।
1991 बच के बलराम उपाध्याय सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक है वर्तमान में कमिश्नर आफ पुलिस के पद पर तैनात हैं
एचबीटीयू के 1991 बैच के प्रोफेसर विनय कुमार पाठक साइंस विभाग के छात्र रहे हैं वर्तमान में वह सीएसजेएमयू विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति हैं
1987 बैच के पूर्णेन्दु घोष बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह बिरला इंस्टीट्यूट आफ साइंटिफिक रिसर्च के निदेशक पद पर भी रह चुके हैं।
1972 बैच के दिनेश सहारा केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह रुचि ग्रुप आफ इंडस्ट्री के एक सीएमडी रहे हैं।
1980 बैच के राजीव प्रताप सिंह एमटेक के छात्र रहे। उन्होंने नूडल्स को खराब होने से बचाने और स्वादिष्ट मसाला तैयार करने की शुरुआत की।
1974 बैच के राजेंद्र कुमार जालान केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह चर्म निर्यात परिषद के वाइस चेयरमैन भी रह चुके हैं।
शमशेर जी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के हैं वर्तमान में एचबीटीयू के कुलपति हैं।
102 वर्ष पहले एचबीटीआई की हुई थी स्थापना
देश के सबसे पुराने तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शामिल होना गौरव की बात है कई तकनीकी शिक्षण संस्थान ने एचबीटीआई परिषद से ही अपनी विकास यात्रा शुरू की है तकनीक और शिक्षण में अग्रणी बनने के लिए संस्थान के पूर्व शिक्षकों और छात्रों ने भी कड़ी मेहनत की है इसी परंपरा को बनाए रखते हुए संस्थान ने पहली बार में नैक मूल्यांकन में ए प्लस का ग्रेड हासिल किया है। प्रोफेसर एसके शर्मा कुलसचिव HBTU कानपुर