RRB ALP भारतीय रेलवे मे 5696 पदो की निकली भर्ती 2024 ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 22 फरवरी 2024 योग्यता हाई स्कूल,आईटीआई पॉलिटैक्निक डिप्लोमा (ITI,POLYTECHNIC DIPLOMA.
Application Fee
General/OBC/EWS:500/-
SC/ST:250/-
Application Begain
20/01/2024
Last Date for online
19/02/2024
Correction/Modified Form
20-29 February 2024
Railway Assistant Loco Pilot Notification 2024:Age Limit as on 01/07/2024
Minimum Age :18 Years
Maximum Age :33 years
Age Relaxation Extra as per Railway
Please Visit Official Website:https://indianrailways.gov.in/
Happy Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी 2024 का महत्व जाने क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है बसंत पंचमी को श्री पंचमी ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है यह त्यौहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है
क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी
बसंत पंचमी एक हिंदू त्यौहार है जो आमतौर पर फरवरी में बसंत ऋतु के दौरान मनाई जाती है इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है जो ज्ञान संगीत और शिक्षा की देवी है बसंत पंचमी को श्री पंचमी ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है यह त्यौहार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है हिंदू परंपराओं के अनुसार पूरे वर्ष में 6 ऋतुओं में बांटा गया है जिसमें बसंत ऋतु ग्रीष्म ऋतु वर्षा ऋतु शरद ऋतु हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल है इन ऋतुओं में से बसंत रितु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है और इसी कारण इस दिन बसंत पंचमी की शुरुआत हुई इस दिन को बसंत पंचमी पर्व के रूप में जाना जाता है इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को मनाई जा रही है
बसंत पंचमी में ऐसा क्या खास है
बसंत पंचमी का दिन ज्ञान बुद्धि और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है यह हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाया जाता है इस खास अवसर पर लोग सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करते हैं और मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं और मिठाई का प्रसाद मां सरस्वती को भोग लगाते हैं गरीबों में भोजन दान करते हैं।
बसंत पंचमी के दिन किसका जन्म हुआ था
हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था
बसंत पंचमी के दिन क्या करना चाहिए
बसंत पंचमी के दिन पूजा करें देसी घी का दिया जलाएं देवी के माथे पर हल्दी का तिलक लगाए और देवी को पीले रंग की माला चढ़ाएं मिठाई और भोग प्रसाद चढ़ाएं मंत्र जाप करें देवी को प्रसन्न करने के लिए लोगों को देवी सरस्वती को समर्पित विभिन्न मंत्रों का जाप करना चाहिए,ओम सरस्वती नम:
बसंत पंचमी 2024 में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी 2024 में सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त है सुबह 7:11 से लेकर 12:35 तक यह दैनिक पंचांग के अनुसार यह शुभ मुहूर्त 5 घंटा 35 मिनट तक रहेगा
HBTU Kanpur के 102 साल : हरकोर्ट बटलर की पहल पर कानपुर में बना एचबीटीयू विश्वविद्यालय कानपुर में ,बात है अंग्रेजी हुकूमत समय की लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉन हेवेट ने इंडस्ट्रियल विकास के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी में एजुकेशन मेंबर रहे स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने कानपुर के लोगों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए 1908 में यहां संस्थान खोलने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि बटलर का पद चले जाने की वजह से संस्थान नहीं खुल सका मामला दबा दिया गया।
1920 में फिर से संस्थान खोलने की बात चली। इस बार कानपुर के बजाय लखनऊ टेक्निकल स्कूल को गवर्नमेंट टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट बनाने की कवायत होने लगी। तो हरकोर्ट बटलर कानपुर में ही संस्थान बनाने पर अड़ गए इस पर कमेटी को कानपुर में ही गवर्नमेंट टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट खोलना पड़ा। जो अब एचबीटीयू के नाम से जाना जाता है।
यह जानकारी संस्थान के 1980 बैच के छात्र विश्वनाथ चट्टोपाध्याय की किताब से मिली है ,25 नवंबर 1921 संस्थान की इमारत की नई ब्रिटिश इंडिया के संयुक्त प्रांत के गवर्नर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले देश का पहला संस्थान था। वर्ष 1926 में जब प्रधानाचार्य ईआर वाटसन रिटायर हो रहे थे। और नए प्रधानाचार्य डॉ. गिल्बर्ट जी फोलर ने कार्यभार ग्रहण किया। तो संस्थान का नाम बदलकर गवर्नर के नाम पर हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट रखा गया था।
1932 से 1964 के बीच शुरू हुए कई टेक्नोलॉजी कोर्स:
1932 से 1964 के बीच यहां शोध कोर्सों के साथ ग्लास टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक में कोर्स शुरू हुए।
1961 में गणित विभाग, 1964 में प्लास्टिक टेक्नोलॉजी बायोकेमिकल इंजीनियरिंग व फूड टेक्नोलॉजी मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स शुरू हुए। पीएचडी भी शुरू हुई।
HBTU kanpur ने देश को दिया ऑयल टेक्नोलॉजी का उपहार
एचबीटीयू ने देश को ऑयल टेक्नोलॉजी कोर्स को उपहार दिया था खाने से लेकर साबुन बनाने तक में इस्तेमाल होने वाले ऑयल टेक्नोलॉजी की पढ़ाई एचवीटीयू में ही शुरू हुई थी। यहां से निकले छात्रों ने देश भर में पहचान बनाई 1930 बैच के केडी मालवी को फादर आफ पैट्रोलियम इंडस्ट्री भी कहा जाता है।
HBTU कानपुर लेदर और शुगर टेक्नोलॉजी का जन्मदाता बना।
1928 मैं इसी संस्थान में शुगर टेक्नोलॉजी कोर्स शुरू किया गया था। जिसे 1936 में अलग से शर्करा संस्थान बनाने के कारण बंद कर दिया गया। यही संस्थान अब कल्याणपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के रूप से जाना जाता है। इसी तरह वर्ष 1922 में संस्थान में लेदर टेक्नोलॉजी कोर्स शुरू हुआ था बाद में लेदर टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट का भी अलग से निर्माण हुआ
एचबीटीयू के पूर्व छात्रों ने देश विदेश में नाम रोशन किया
1930 बैच के केडी मालवीय को फादर ऑफ इंडियन पैट्रोलियम इंडस्ट्री कहा जाता है तेल टेक्नोलॉजी से पढ़ाई करने वाले मालवीय 1970 में पेट्रोलियम मंत्री भी रह चुके हैं।
1991 बच के बलराम उपाध्याय सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक है वर्तमान में कमिश्नर आफ पुलिस के पद पर तैनात हैं
एचबीटीयू के 1991 बैच के प्रोफेसर विनय कुमार पाठक साइंस विभाग के छात्र रहे हैं वर्तमान में वह सीएसजेएमयू विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति हैं
1987 बैच के पूर्णेन्दु घोष बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह बिरला इंस्टीट्यूट आफ साइंटिफिक रिसर्च के निदेशक पद पर भी रह चुके हैं।
1972 बैच के दिनेश सहारा केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह रुचि ग्रुप आफ इंडस्ट्री के एक सीएमडी रहे हैं।
1980 बैच के राजीव प्रताप सिंह एमटेक के छात्र रहे। उन्होंने नूडल्स को खराब होने से बचाने और स्वादिष्ट मसाला तैयार करने की शुरुआत की।
1974 बैच के राजेंद्र कुमार जालान केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं वह चर्म निर्यात परिषद के वाइस चेयरमैन भी रह चुके हैं।
शमशेर जी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के हैं वर्तमान में एचबीटीयू के कुलपति हैं।
102 वर्ष पहले एचबीटीआई की हुई थी स्थापना
देश के सबसे पुराने तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शामिल होना गौरव की बात है कई तकनीकी शिक्षण संस्थान ने एचबीटीआई परिषद से ही अपनी विकास यात्रा शुरू की है तकनीक और शिक्षण में अग्रणी बनने के लिए संस्थान के पूर्व शिक्षकों और छात्रों ने भी कड़ी मेहनत की है इसी परंपरा को बनाए रखते हुए संस्थान ने पहली बार में नैक मूल्यांकन में ए प्लस का ग्रेड हासिल किया है। प्रोफेसर एसके शर्मा कुलसचिव HBTU कानपुर
Word Food Day 2023: विश्व खाद्य दिवस आज क्यों, क्या है जाने इस दिन का इतिहास महत्व और थीम 2023.आज 16 अक्टूबर 2023 को विश्व खाद्य दिवस मनाया जा रहा है विश्व खाद दिवस का उद्देश्य हर व्यक्ति तक सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की पहुंच को सुनिश्चित करना है ।और साथ ही कुपोषण और भुखमरी के लिए जागरुकता को फैलाना है ।कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे ,और हर व्यक्ति फूड खाने के बाद सुरक्षित रहे ।दुनिया भर के लगभग 150 देशों में भुखमरी और गरीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह खास विश्व खाद्य दिवस मनाया जा रहा है और लोगों को इसके प्रति जागरूक होना है कि भोजन एक बुनियादी जरूरत और मौलिक मानव अधिकार है।
खाद्य दिवस का इतिहास क्या है
सन 1945 में संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना की गई। वर्ष 1979 में विश्व खाद दिवस शुरू किया गया था। FAO के सदस्य देशों ने 20 वें महासम्मेलन के दौरान नवंबर 1979 में वर्ल्ड फूड डे की स्थापना की, और 16 अक्टूबर 1981 को इसे मनाने का आवाहन किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 1980 को इसकी आधिकारिक पुष्टि की और सभी से योगदान देने के लिए आग्रह किया गया।
वर्ष 2023 की वर्ल्ड फूड डे की थीम क्या है?
वर्ष 2023 के लिए विश्व खाद दिवस का विषय है जल ही जीवन है जल ही भोजन है किसी को पीछे ना छोड़े, water is the life, water is food, leave no one behind।
क्या है खाद्य और कृषि संगठन (FAO)?
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानी खाद और कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक खास एजेंसी है जिसकी स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इसका हेड क्वार्टर है इटली के रोम में यह पूरी दुनिया में 130 से अधिक देशों में काम करता है खाद और कृषि संगठन का उद्देश्य सभी के लिए आवश्यक खाद्य सुरक्षा हासिल करना है।
World Food Day 2023: ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत 125 देश में से 111 वें स्थान पर है जो भूख के गंभीर स्तर को दर्शाता है पाकिस्तान 102 वें स्थान पर ,बांग्लादेश 81 वें स्थान पर , नेपाल 69 वें श्रीलंका 60 वें स्थान पर है जैसे पड़ोसी देशों ने भारत से बेहतर स्कोर किया है
Global Hunger Index 2023: पर भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया है
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रिपोर्ट की पद्धति के बारे में चिंता जताई है जिसमें गंभीर मुद्दे और दुर्भावना पूर्ण इरादे का सुझाव दिया गया है।
सरकार के पोषण ट्रैकर के डाटा से पता चलता है कि बाल दुर्बलता का प्रसार 7.2% से कम है जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स के 18.7% के रिपोर्ट के आंकड़े के विपरीत है।
What is Food: भोजन क्या है?
हर व्यक्ति अपनी भूख मिटाने के लिए फूड को खाता है। भोजन की वजह से हर व्यक्ति जीवित और स्वस्थ रहता है। हर कार्य, भाग दौड़ भोजन की वजह से कर पता है।
हर व्यक्ति को भोजन और पानी ग्रहण करने का मौलिक अधिकार है।
Indian Air force day 2023: भारत आज मना रहा है 91वां भारतीय वायु सेना दिवस ,Indian Air force day भारत में प्रतिवर्ष 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाया जाता है। भारत अपना 91वा वायु सेना दिवस मना रहा है। भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसके बाद से 8 अक्टूबर को हर वर्ष भारतीय वायुसेना दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम है “IAF एयर पावर बियोंड बाउंड्रीज (Air power beyond boundaries ” हैं
भारतीय वायु सेना दिवस 2023: फोटो सोशल मीडिया
भारतीय वायु सेना को आज मिलेगा नया ध्वज
भारतीय नौसेना के बाद अब भारतीय वायु सेना को भी नया ध्वज मिल जाएगा ।प्रयागराज में भारतीय वायुसेना के 91 वे स्थापना दिवस पर नए ध्वज का अनावरण वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी करेंगे ,यहां मध्य वायु कमान मुख्यालय बमरौली में वायु सेना की परेड के बाद वायु सेना के नए ध्वज का अनावरण किया जाएगा।
Indian Air force day 2023: के लिए थीम क्या है
IAF एयर पावर बियोंड बाउंड्रीज (Air power beyondboundaries ” हैं यानि भारतीय वायु सेना सीमाओं से पर वायु सेना निर्धारित की गई है
भारतीय वायु सेना की स्थापना कब हुई थी।
भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 , यानि 90 साल पहले हुई थी।
भारतीय वायु सेना का motto मकसद क्या है
Touch the sky with glory यानी गरिमा के साथ आकाश को छुओ। यह वाक्य भगवत गीता से लिया गया है।
भारतीय वायु सेना के प्रमुख अधिकारी वर्तमान में
कमांडर इन के कमांडर इन चीप राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ CDS: जनरल अनिल चौहान
चीफ ऑफ़ द एयर स्टाफ CAS: एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी
एचबीटीयू कानपुर में पहले मिलेट कैफे की शुरुआत हुई , एचबीटीयू के पूर्वी प्रांगण नवाबगंज में कानपुर के पहले मिलेट कैफे का उद्धघाटन, हर कोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी कानपूर के कुलपति प्रोफेसर शमशेर ने शुक्रवार को फीता काट कर उद्घाटन किया ,इस कैफे की स्थापना गुड़गांव के मिलेट वेस्ट कैफे और विश्वविद्यालय के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के एम ओ यू के फल स्वरुप में की गई, इस कैफे में संस्थान के छात्र-छात्राओं को मिलेट बेस्ड से बने फास्ट फूड उत्पाद जैसे पिज्जा बर्गर सैंडविच आदि उत्पादों के साथ-साथ मिलेट से ही बने भारतीय पारंपरिक व्यंजन जैसे समोसे कचौड़ी इडली डोसा इत्यादि का स्वाद चखने को मिलेगा कैफे के डायरेक्टर सुमित सिंह ने बताया कि मिलेट बेस्ड की शुरुआत मोटे अनाज के महत्व और इसके पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए की गई है उल्लेखनीय है कि 2023 अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है और भारत सरकार मिलेट उत्पादन एवं प्रसंस्करण को विशेष बढ़ावा दे रही है एचबीटीयू के कुलपति प्रोफेसर डॉ शमशेर सिंह ने इस अवसर पर कहा कि कैफे न केवल विश्वविद्यालय के छात्राओं को मिलेट से बने हेल्दी व्यंजन उपलब्ध कराएगा बल्कि आने वाले समय में महिलाओं और युवाओं को मिलेट से बने उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण तथा उद्यमिता को भी बढ़ावा देगा कुलपति ने इस कैफे की स्थापना में विश्वविद्यालय की खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के डॉक्टर विवेक कुमार और डॉक्टर अनुराग सिंह के विशेष योगदान का भी जिक्र करते हुए उन्हें बहुत-बहुत बधाई दी इस उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर बाबू सिंह जाबेलिया महामंत्री ,उत्तर प्रदेश ;अशोक बोर्ड मेंबर, मिनिस्ट्री आफ सोशल जस्टिस एंड एनवायरमेंट अनुराग दिक्षित भाजपा मीडिया सेल हेड एचवीटीयू के उप कुलपति प्रोफेसर दी परमार, रजिस्टर प्रोफेसर एसके शर्मा, प्रोफेसर वंदना दीक्षित ,प्रोफेसर डीएल देवनानी प्रोफेसर प्रदीप कुमार, प्रोफेसर रीना सिंगल, प्रोफेसर अरुण मैथानी, प्रोफेसर आलोक कुमार, प्रोफेसर एसके सिंगला, एवं डॉक्टर विकास यादव
आदि लोग मौजूद रहे,
मिलेट क्या है
यह दो तरह के होते हैं मोटा दाना और छोटा दाना मिलेट की कैटेगरी में बाजारा बेरी गंगोरा कुटकी रागी चना जौ आदि आते हैं
Millet खाने के लाभ क्या है
मिलेट में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे फाइबर प्रोटीन आयरन और अमीनो एसिड्स मिलेट्स एंटी एजिंग गुणों से भरपूर होता है इसको खाने से वजन कंट्रोल होने के साथ डायबिटीज कंट्रोल होती है मिलेट्स खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ से यह आसानी से पच भी जाता है